आज के समय में जब कई दंपत्ति प्राकृतिक रूप से बच्चा पैदा नहीं कर पाते, तब सरोगेसी (Surrogacy) एक बड़ा समाधान बनकर उभरती है। यह एक चिकित्सीय व कानूनी प्रक्रिया है जिसमें किसी अन्य महिला की कोख से बच्चा जन्म लेता है, लेकिन बच्चे के माता-पिता वे होते हैं जिन्होंने सरोगेसी की प्रक्रिया अपनाई होती है।
इस लेख में हम विस्तार से समझेंगे कि Surrogacy क्या होता है?, यह कैसे काम करती है, इसके प्रकार, खर्च, फायदे-नुकसान और भारत में इसके कानून क्या कहते हैं।
Surrogacy क्या होता है?
सरोगेसी एक ऐसी प्रक्रिया है जिसमें कोई महिला (सरोगेट माँ) किसी दंपत्ति के लिए गर्भ धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।
मतलब —
बच्चा किसी और की कोख में पलता है, लेकिन कानूनी माता-पिता वे होते हैं जिनके लिए यह गर्भधारण किया गया है।
सरोगेसी क्यों की जाती है?
- जब महिला गर्भवती नहीं हो सकती
- गर्भधारण में जान का जोखिम हो
- लगातार गर्भपात (Miscarriage)
- गर्भाशय की समस्या
- समान-लैंगिक दंपत्ति (कुछ देशों में)
- मेडिकल कारणों से प्राकृतिक गर्भधारण संभव न हो
Surrogacy के प्रकार
सरोगेसी मुख्यतः दो प्रकार की होती है:
1. पारंपरिक सरोगेसी (Traditional Surrogacy)
इसमें सरोगेट माँ अपने ही अंडाणु का उपयोग करती है।
बच्चे का जैविक संबंध सरोगेट माँ से होता है।
यह मॉडल अब अधिकतर देशों में प्रतिबंधित है।
2. गर्भधारण सरोगेसी / गैस्टेशनल सरोगेसी (Gestational Surrogacy)
इसमें
- Intended Parents (माता-पिता) का अंडाणु/शुक्राणु
या
- डोनर का अंडाणु/शुक्राणु
से IVF द्वारा एम्ब्रियो बनाया जाता है और इसे सरोगेट माँ के गर्भ में स्थापित किया जाता है।
इसका मतलब — सरोगेट माँ का बच्चे से कोई जैविक संबंध नहीं होता।
भारत में यही मॉडल कानूनी रूप से मान्य है।
Surrogacy कैसे होती है? (पूरी प्रक्रिया)
सरोगेसी एक चरणबद्ध मेडिकल प्रक्रिया है:
1. मेडिकल जाँच और काउंसलिंग
- दंपत्ति की प्रजनन क्षमता की जाँच
- सरोगेट माँ की स्वास्थ्य जाँच
- मनोवैज्ञानिक काउंसलिंग
- कानूनी दस्तावेज़ीकरण
2. IVF प्रक्रिया
- अंडाणु और शुक्राणु से लैब में भ्रूण तैयार किया जाता है
- तैयार एम्ब्रियो को सरोगेट माँ की कोख में ट्रांसफर किया जाता है
3. गर्भावस्था की निगरानी
- नियमित अल्ट्रासाउंड
- मेडिकल चेकअप
- डॉक्टर द्वारा तय दिशानिर्देशों का पालन
4. बच्चे का जन्म और कानूनी प्रक्रिया
- डिलीवरी के बाद बच्चा Intended Parents को सौंप दिया जाता है
- कानूनी दस्तावेज़ पूरे किए जाते हैं
भारत में Surrogacy कानून (Indian Surrogacy Law)
भारत में Surrogacy (Regulation) Act, 2021 लागू है।
इसके अनुसार:
केवल निःस्वार्थ (Altruistic Surrogacy) की अनुमति
सरोगेट माँ को कोई व्यावसायिक भुगतान नहीं (सिवाय मेडिकल खर्चों के)
ध्यान देने योग्य नियम:
- केवल विवाहित भारतीय दंपत्ति को अनुमति
- 5 वर्ष की शादी अनिवार्य
- महिला की आयु: 25–35 वर्ष
- सरोगेट माँ पहले से एक बार माँ बनी हो
- सरोगेट माँ रिश्तेदार होनी चाहिए (कुछ स्थितियों में)
Surrogacy के फायदे
- उन दंपत्तियों के लिए समाधान जो गर्भधारण नहीं कर पाते
- सुरक्षित और नियंत्रित मेडिकल प्रक्रिया
- माँ की जान के जोखिम से बचाव
- परिवार पूरी तरह जैविक बच्चा पा सकता है (गैस्टेशनल मॉडल में)
Surrogacy के नुकसान या चुनौतियाँ
- भावनात्मक चुनौतियाँ
- कानूनी जटिलताएँ
- सामाजिक दबाव
- महंगी प्रक्रिया (IVF + मेडिकल देखभाल)
FAQs
1. Surrogacy क्या होता है?
सरोगेसी वह प्रक्रिया है जिसमें एक महिला किसी दंपत्ति के लिए गर्भ धारण करती है और बच्चे को जन्म देती है।
2. क्या भारत में सरोगेसी कानूनी है?
हाँ, लेकिन केवल अल्ट्रुइस्टिक (निःस्वार्थ) सरोगेसी की अनुमति है।
3. सरोगेसी की लागत कितनी होती है?
भारत में IVF, मेडिकल और अन्य खर्च मिलाकर प्रक्रिया महंगी हो सकती है। (लागत शहर व क्लिनिक पर निर्भर)
4. क्या सरोगेट माँ का बच्चे से संबंध होता है?
गैस्टेशनल सरोगेसी में नहीं। बच्चे का जैविक संबंध Intended Parents से होता है।
5. सरोगेसी कितने समय की प्रक्रिया है?
आमतौर पर 12–18 महीने का समय लग सकता है, जिसमें IVF, गर्भावस्था और कानूनी चरण शामिल हैं।
निष्कर्ष (Conclusion)
अब आप समझ चुके हैं कि surrogacy kya hota hai, यह कैसे काम करती है, और भारत में इसके क्या नियम हैं। सरोगेसी उन दंपत्तियों के लिए एक मजबूत सहारा है जिनके लिए प्राकृतिक गर्भधारण संभव नहीं है। सही जानकारी, विशेषज्ञ डॉक्टर और कानूनी मार्गदर्शन के साथ यह प्रक्रिया सुरक्षित और सफल हो सकती है।
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